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Anguttara Nikaya 10-23[]
२३. रागपेय्यालं
२३७. ‘‘रागस्स , भिक्खवे, अभिञ्ञाय दस धम्मा भावेतब्बा। कतमे दस? असुभसञ्ञा, मरणसञ्ञा, आहारे पटिकूलसञ्ञा, सब्बलोके अनभिरतसञ्ञा, अनिच्चसञ्ञा, अनिच्चे दुक्खसञ्ञा, दुक्खे अनत्तसञ्ञा, पहानसञ्ञा, विरागसञ्ञा, निरोधसञ्ञा – रागस्स, भिक्खवे, अभिञ्ञाय इमे दस धम्मा भावेतब्बा’’ति।
२३८. ‘‘रागस्स , भिक्खवे, अभिञ्ञाय दस धम्मा भावेतब्बा। कतमे दस? अनिच्चसञ्ञा, अनत्तसञ्ञा, आहारे पटिकूलसञ्ञा, सब्बलोके अनभिरतसञ्ञा, अट्ठिकसञ्ञा, पुळवकसञ्ञा [पुलवकसञ्ञा (सी॰) पुळुवकसञ्ञा (क॰)], विनीलकसञ्ञा, विपुब्बकसञ्ञा, विच्छिद्दकसञ्ञा, उद्धुमातकसञ्ञा – रागस्स, भिक्खवे, अभिञ्ञाय इमे दस धम्मा भावेतब्बा’’ति।
२३९. ‘‘रागस्स, भिक्खवे, अभिञ्ञाय दस धम्मा भावेतब्बा। कतमे दस ? सम्मादिट्ठि, सम्मासङ्कप्पो, सम्मावाचा, सम्माकम्मन्तो, सम्माआजीवो, सम्मावायामो, सम्मासति, सम्मासमाधि, सम्माञाणं, सम्माविमुत्ति – रागस्स, भिक्खवे, अभिञ्ञाय इमे दस धम्मा भावेतब्बा’’ति।
२४०-२६६. ‘‘रागस्स, भिक्खवे, परिञ्ञाय…पे॰… परिक्खयाय… पहानाय… खयाय… वयाय… विरागाय… निरोधाय… ( ) [(उपसमाय) (सी॰ स्या॰ पी॰) अञ्ञेसं पन निपातानं परियोसाने इदं पदं न दिस्सति] चागाय… पटिनिस्सग्गाय…पे॰… इमे दस धम्मा भावेतब्बा।
२६७-७४६. ‘‘दोसस्स …पे॰… मोहस्स… कोधस्स… उपनाहस्स… मक्खस्स… पळासस्स… इस्साय… मच्छरियस्स… मायाय… साठेय्यस्स… थम्भस्स… सारम्भस्स… मानस्स… अतिमानस्स… मदस्स… पमादस्स परिञ्ञाय…पे॰… परिक्खयाय… पहानाय … खयाय… वयाय… विरागाय… निरोधाय… ( ) [(उपसमाय) (सी॰ स्या॰ पी॰) अञ्ञेसं पन निपातानं परियोसाने इदं पदं न दिस्सति] चागाय… पटिनिस्सग्गाय…पे॰… इमे दस धम्मा भावेतब्बा’’ति।
रागपेय्यालं निट्ठितं।
दसकनिपातपाळि निट्ठिता।