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Tipitaka >> Abhidhamma Pitaka >> Kathavatthu >> Pali-Devanagri version-Chapter 5


Kathavatthu Chapter 5[]



५. पञ्‍चमवग्गो

(४३) १. विमुत्तिकथा

४१८. विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? आमन्ता। यं किञ्‍चि विमुत्तिञाणं सब्बं तं विमुत्तन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…। विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? आमन्ता। पच्‍चवेक्खणञाणं विमुत्तन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? आमन्ता। गोत्रभुनो पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… सोतापत्तिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? आमन्ता। सोतापन्‍नस्स ञाणं, सोतापत्तिफलं पत्तस्स पटिलद्धस्स अधिगतस्स सच्छिकतस्स ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… सकदागामिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? आमन्ता। सकदागामिस्स ञाणं, सकदागामिफलं पत्तस्स पटिलद्धस्स अधिगतस्स सच्छिकतस्स ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… अनागामिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? आमन्ता। अनागामिस्स ञाणं, अनागामिफलं पत्तस्स पटिलद्धस्स अधिगतस्स सच्छिकतस्स ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… अरहत्तसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? आमन्ता। अरहतो ञाणं, अरहत्तं पत्तस्स पटिलद्धस्स अधिगतस्स सच्छिकतस्स ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

४१९. सोतापत्तिफलसमङ्गिस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? आमन्ता। सोतापत्तिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… सकदागामिफलसमङ्गिस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? आमन्ता। सकदागामिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… अनागामिफलसमङ्गिस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? आमन्ता। अनागामिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… अरहत्तफलसमङ्गिस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? आमन्ता। अरहत्तसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

४२०. सोतापत्तिफलसमङ्गिस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तं तञ्‍च फलं पत्तस्स ञाणन्ति? आमन्ता। सोतापत्तिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तं तञ्‍च फलं पत्तस्स ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… सकदागामिफलसमङ्गिस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तं तञ्‍च फलं पत्तस्स ञाणन्ति? आमन्ता । सकदागामिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तं तञ्‍च फलं पत्तस्स ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… अनागामिफलसमङ्गिस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तं तञ्‍च फलं पत्तस्स ञाणन्ति? आमन्ता। अनागामिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तं तञ्‍च फलं पत्तस्स ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… अरहत्तफलसमङ्गिस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तं तञ्‍च फलं पत्तस्स ञाणन्ति? आमन्ता। अरहत्तसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स विमुत्तिञाणं विमुत्तं तञ्‍च फलं पत्तस्स ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

विमुत्तिकथा निट्ठिता।

५. पञ्‍चमवग्गो

(४४) २. असेखञाणकथा

४२१. सेखस्स असेखं ञाणं अत्थीति? आमन्ता। सेखो असेखं धम्मं जानाति पस्सति, दिट्ठं विदितं सच्छिकतं उपसम्पज्‍ज विहरति, कायेन फुसित्वा विहरतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… ननु सेखो असेखं धम्मं न जानाति न पस्सति, अदिट्ठं अविदितं असच्छिकतं न उपसम्पज्‍ज विहरति, न कायेन फुसित्वा विहरतीति? आमन्ता। हञ्‍चि सेखो असेखं धम्मं न जानाति न पस्सति, अदिट्ठं अविदितं असच्छिकतं न उपसम्पज्‍ज विहरति, न कायेन फुसित्वा विहरति, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘सेखस्स असेखं ञाणं अत्थी’’ति।

असेखस्स असेखं ञाणं अत्थि, असेखो असेखं धम्मं जानाति पस्सति, दिट्ठं विदितं सच्छिकतं उपसम्पज्‍ज विहरति, कायेन फुसित्वा विहरतीति? आमन्ता। सेखस्स असेखं ञाणं अत्थि , सेखो असेखं धम्मं जानाति पस्सति, दिट्ठं विदितं सच्छिकतं उपसम्पज्‍ज विहरति, कायेन फुसित्वा विहरतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

४२२. सेखस्स असेखं ञाणं अत्थि, सेखो असेखं धम्मं न जानाति न पस्सति, अदिट्ठं अविदितं असच्छिकतं न उपसम्पज्‍ज विहरति, न कायेन फुसित्वा विहरतीति? आमन्ता। असेखस्स असेखं ञाणं अत्थि, असेखो असेखं धम्मं न जानाति न पस्सति, अदिट्ठं अविदितं असच्छिकतं न उपसम्पज्‍ज विहरति, न कायेन फुसित्वा विहरतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

सेखस्स असेखं ञाणं अत्थीति? आमन्ता। गोत्रभुनो पुग्गलस्स सोतापत्तिमग्गे ञाणं अत्थीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… सोतापत्तिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स सोतापत्तिफले ञाणं अत्थीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… सकदागामिफल… अनागामिफल… अरहत्तसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स अरहत्ते ञाणं अत्थीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

४२३. न वत्तब्बं – ‘‘सेखस्स असेखं ञाणं अत्थी’’ति? आमन्ता। ननु आयस्मा आनन्दो सेखो – ‘‘भगवा उळारो’’ति जानाति, ‘‘सारिपुत्तो थेरो, महामोग्गल्‍लानो थेरो उळारो’’ति जानातीति? आमन्ता। हञ्‍चि आयस्मा आनन्दो सेखो – ‘‘भगवा उळारो’’ति जानाति, ‘‘सारिपुत्तो थेरो, महामोग्गल्‍लानो थेरो उळारो’’ति जानाति, तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘सेखस्स असेखं ञाणं अत्थी’’ति।

असेखञाणकथा निट्ठिता।

५. पञ्‍चमवग्गो

(४५) ३. विपरीतकथा

४२४. पथवीकसिणं समापत्तिं [पथवीकसिणसमापत्तिं (सी॰ क॰)] समापन्‍नस्स विपरीते ञाणन्ति? आमन्ता। अनिच्‍चे निच्‍चन्ति विपरियेसोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… दुक्खे सुखन्ति…पे॰… अनत्तनि अत्ताति…पे॰… असुभे सुभन्ति विपरियेसोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स विपरीते ञाणन्ति? आमन्ता। अकुसलन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… ननु कुसलन्ति? आमन्ता। हञ्‍चि कुसलं, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स विपरीते ञाण’’न्ति।

अनिच्‍चे निच्‍चन्ति विपरियेसो, सो च अकुसलोति? आमन्ता। पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स विपरीते ञाणं, तञ्‍च अकुसलन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… दुक्खे सुखन्ति…पे॰… अनत्तनि अत्ताति…पे॰… असुभे सुभन्ति विपरियेसो, सो च अकुसलोति? आमन्ता। पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स विपरीते ञाणं, तञ्‍च अकुसलन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

४२५. पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स विपरीते ञाणं, तञ्‍च अकुसलन्ति? आमन्ता। अनिच्‍चे निच्‍चन्ति विपरियेसो, सो च कुसलोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स विपरीते ञाणं, तञ्‍च अकुसलन्ति? आमन्ता। दुक्खे सुखन्ति…पे॰… अनत्तनि अत्ताति…पे॰… असुभे सुभन्ति विपरियेसो, सो च कुसलोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

४२६. पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स विपरीते ञाणन्ति? आमन्ता। अरहा पथवीकसिणं समापत्तिं समापज्‍जेय्याति? आमन्ता। हञ्‍चि अरहा पथवीकसिणं समापत्तिं समापज्‍जेय्य, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स विपरीते ञाण’’न्ति।

पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स विपरीते ञाणं, अरहा पथवीकसिणं समापत्तिं समापज्‍जेय्याति? आमन्ता। अत्थि अरहतो विपरियेसोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

अत्थि अरहतो विपरियेसोति? आमन्ता। अत्थि अरहतो सञ्‍ञाविपरियेसो चित्तविपरियेसो दिट्ठिविपरियेसोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

नत्थि अरहतो सञ्‍ञाविपरियेसो चित्तविपरियेसो दिट्ठिविपरियेसोति? आमन्ता। हञ्‍चि नत्थि अरहतो सञ्‍ञाविपरियेसो चित्तविपरियेसो दिट्ठिविपरियेसो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो विपरियेसो’’ति।

४२७. न वत्तब्बं – पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स विपरीते ञाणन्ति? आमन्ता। पथवीकसिणं समापत्तिं समापज्‍जन्तस्स सब्बेव पथवीति? न हेवं वत्तब्बे। तेन हि पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स विपरीते ञाणन्ति।

पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स विपरीते ञाणन्ति? आमन्ता। ननु पथवी अत्थि, अत्थि च कोचि पथविं पथवितो समापज्‍जतीति? आमन्ता। हञ्‍चि पथवी अत्थि, अत्थि च कोचि पथविं पथवितो समापज्‍जति, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स विपरीते ञाण’’न्ति।

पथवी अत्थि, पथविं पथवितो समापज्‍जन्तस्स विपरीतं होतीति? आमन्ता। निब्बानं अत्थि, निब्बानं निब्बानतो समापज्‍जन्तस्स विपरीतं होतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स विपरीते ञाण’’न्ति।

विपरीतकथा निट्ठिता।

५. पञ्‍चमवग्गो

(४६) ४. नियामकथा

४२८. अनियतस्स नियामगमनाय अत्थि ञाणन्ति? आमन्ता। नियतस्स अनियामगमनाय अत्थि ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

नियतस्स अनियामगमनाय नत्थि ञाणन्ति? आमन्ता। अनियतस्स नियामगमनाय नत्थि ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

अनियतस्स नियामगमनाय अत्थि ञाणन्ति? आमन्ता । नियतस्स नियामगमनाय अत्थि ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

नियतस्स नियामगमनाय नत्थि ञाणन्ति? आमन्ता। अनियतस्स नियामगमनाय नत्थि ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

अनियतस्स नियामगमनाय अत्थि ञाणन्ति? आमन्ता। अनियतस्स अनियामगमनाय अत्थि ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

अनियतस्स अनियामगमनाय नत्थि ञाणन्ति? आमन्ता। अनियतस्स नियामगमनाय नत्थि ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

४२९. अनियतस्स नियामगमनाय अत्थि ञाणन्ति? आमन्ता। अनियतस्स नियामगमनाय अत्थि नियामोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

अनियतस्स नियामगमनाय अत्थि ञाणन्ति? आमन्ता। अनियतस्स नियामगमनाय अत्थि सतिपट्ठाना… सम्मप्पधाना… इद्धिपादा… इन्द्रिया… बला… बोज्झङ्गाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

अनियतस्स नियामगमनाय नत्थि नियामोति? आमन्ता। हञ्‍चि अनियतस्स नियामगमनाय नत्थि नियामो, नो वत रे वत्तब्बे – ‘‘अनियतस्स नियामगमनाय अत्थि ञाण’’न्ति।

अनियतस्स नियामगमनाय नत्थि सतिपट्ठाना…पे॰… बोज्झङ्गाति? आमन्ता। हञ्‍चि अनियतस्स नियामगमनाय नत्थि बोज्झङ्गा, नो वत रे वत्तब्बे – ‘‘अनियतस्स नियामगमनाय अत्थि ञाण’’न्ति।

४३०. अनियतस्स नियामगमनाय अत्थि ञाणन्ति? आमन्ता। गोत्रभुनो पुग्गलस्स सोतापत्तिमग्गे ञाणं अत्थीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… सोतापत्तिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स सोतापत्तिफले ञाणं अत्थीति? न हेवं वत्तब्बे …पे॰… अरहत्तसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स अरहत्ते ञाणं अत्थीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

४३१. न वत्तब्बं – ‘‘अनियतस्स नियामगमनाय अत्थि ञाण’’न्ति? आमन्ता। ननु भगवा जानाति – ‘‘अयं पुग्गलो सम्मत्तनियामं ओक्‍कमिस्सति, भब्बो अयं पुग्गलो धम्मं अभिसमेतु’’न्ति? आमन्ता। हञ्‍चि भगवा जानाति – ‘‘अयं पुग्गलो सम्मत्तनियामं ओक्‍कमिस्सति, भब्बो अयं पुग्गलो धम्मं अभिसमेतुं,’’ तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘अनियतस्स नियामगमनाय अत्थि ञाण’’न्ति।

नियामकथा निट्ठिता।

५. पञ्‍चमवग्गो

(४७) ५. पटिसम्भिदाकथा

४३२. सब्बं ञाणं पटिसम्भिदाति? आमन्ता। सम्मुतिञाणं पटिसम्भिदाति ? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… सम्मुतिञाणं पटिसम्भिदाति? आमन्ता। ये केचि सम्मुतिं जानन्ति, सब्बे ते पटिसम्भिदापत्ताति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… सब्बं ञाणं पटिसम्भिदाति? आमन्ता। चेतोपरियाये ञाणं पटिसम्भिदाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… चेतोपरियाये ञाणं पटिसम्भिदाति? आमन्ता। ये केचि परचित्तं जानन्ति, सब्बे ते पटिसम्भिदापत्ताति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

सब्बं ञाणं पटिसम्भिदाति? आमन्ता। सब्बा पञ्‍ञा पटिसम्भिदाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… सब्बा पञ्‍ञा पटिसम्भिदाति? आमन्ता। पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स अत्थि पञ्‍ञा, सा पञ्‍ञा पटिसम्भिदाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… आपोकसिणं…पे॰… तेजोकसिणं…पे॰… वायोकसिणं…पे॰… नीलकसिणं…पे॰… पीतकसिणं…पे॰… लोहितकसिणं…पे॰… ओदातकसिणं…पे॰… आकासानञ्‍चायतनं…पे॰… विञ्‍ञाणञ्‍चायतनं…पे॰… आकिञ्‍चञ्‍ञायतनं…पे॰… नेवसञ्‍ञानासञ्‍ञायतनं समापन्‍नस्स…पे॰… दानं ददन्तस्स…पे॰… चीवरं ददन्तस्स…पे॰… पिण्डपातं ददन्तस्स…पे॰… सेनासनं ददन्तस्स…पे॰… गिलानपच्‍चयभेसज्‍जपरिक्खारं ददन्तस्स अत्थि पञ्‍ञा, सा पञ्‍ञा पटिसम्भिदाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

४३३. न वत्तब्बं – ‘‘सब्बं ञाणं पटिसम्भिदा’’ति? आमन्ता। अत्थि लोकुत्तरा पञ्‍ञा, सा पञ्‍ञा न पटिसम्भिदाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… तेन हि सब्बं ञाणं पटिसम्भिदाति।

पटिसम्भिदाकथा निट्ठिता।

५. पञ्‍चमवग्गो

(४८) ६. सम्मुतिञाणकथा

४३४. न वत्तब्बं – ‘‘सम्मुतिञाणं सच्‍चारम्मणञ्‍ञेव न अञ्‍ञारम्मण’’न्ति? आमन्ता। ननु पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स अत्थि ञाणं, पथवीकसिणञ्‍च सम्मुतिसच्‍चम्हीति? आमन्ता। हञ्‍चि पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्‍नस्स अत्थि ञाणं, पथवीकसिणञ्‍च सम्मुतिसच्‍चम्हि, तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘सम्मुतिञाणं सच्‍चारम्मणञ्‍ञेव न अञ्‍ञारम्मण’’न्ति।

न वत्तब्बं – ‘‘सम्मुतिञाणं सच्‍चारम्मणञ्‍ञेव न अञ्‍ञारम्मण’’न्ति? आमन्ता…पे॰… ननु आपोकसिणं…पे॰… तेजोकसिणं…पे॰… गिलानपच्‍चयभेसज्‍जपरिक्खारं ददन्तस्स अत्थि ञाणं, गिलानपच्‍चयभेसज्‍जपरिक्खारो च सम्मुतिसच्‍चम्हीति? आमन्ता। हञ्‍चि गिलानपच्‍चयभेसज्‍जपरिक्खारं ददन्तस्स अत्थि ञाणं, गिलानपच्‍चयभेसज्‍जपरिक्खारो च सम्मुतिसच्‍चम्हि, तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘सम्मुतिञाणं सच्‍चारम्मणञ्‍ञेव न अञ्‍ञारम्मण’’न्ति।

४३५. सम्मुतिञाणं सच्‍चारम्मणञ्‍ञेव न अञ्‍ञारम्मणन्ति? आमन्ता । तेन ञाणेन दुक्खं परिजानाति, समुदयं पजहति, निरोधं सच्छिकरोति, मग्गं भावेतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

सम्मुतिञाणकथा निट्ठिता।

५. पञ्‍चमवग्गो

(४९) ७. चित्तारम्मणकथा

४३६. चेतोपरियाये ञाणं चित्तारम्मणञ्‍ञेव न अञ्‍ञारम्मणन्ति? आमन्ता। ननु अत्थि कोचि ‘‘सरागं चित्तं सरागं चित्त’’न्ति पजानातीति? आमन्ता। हञ्‍चि अत्थि कोचि ‘‘सरागं चित्तं सरागं चित्त’’न्ति पजानाति, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘चेतोपरियाये ञाणं चित्तारम्मणञ्‍ञेव न अञ्‍ञारम्मण’’न्ति।

ननु अत्थि कोचि वीतरागं चित्तं…पे॰… सदोसं चित्तं… वीतदोसं चित्तं… समोहं चित्तं… वीतमोहं चित्तं… संखित्तं चित्तं… विक्खित्तं चित्तं… महग्गतं चित्तं… अमहग्गतं चित्तं… सउत्तरं चित्तं… अनुत्तरं चित्तं… समाहितं चित्तं… असमाहितं चित्तं… विमुत्तं चित्तं…पे॰… अविमुत्तं चित्तं ‘‘अविमुत्तं चित्त’’न्ति पजानातीति? आमन्ता। हञ्‍चि अत्थि कोचि ‘‘अविमुत्तं चित्तं अविमुत्तं चित्त’’न्ति पजानाति, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘चेतोपरियाये ञाणं चित्तारम्मणञ्‍ञेव न अञ्‍ञारम्मण’’न्ति।

४३७. फस्सारम्मणे ञाणं वत्तब्बं – ‘‘चेतोपरियाये ञाण’’न्ति? आमन्ता । हञ्‍चि फस्सारम्मणे ञाणं वत्तब्बं चेतोपरियाये ञाणं, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘चेतोपरियाये ञाणं चित्तारम्मणञ्‍ञेव न अञ्‍ञारम्मण’’न्ति। वेदनारम्मणे ञाणं…पे॰… सञ्‍ञारम्मणे ञाणं… चेतनारम्मणे ञाणं… चित्तारम्मणे ञाणं… सद्धारम्मणे ञाणं… वीरियारम्मणे ञाणं… सतारम्मणे ञाणं… समाधारम्मणे ञाणं… पञ्‍ञारम्मणे ञाणं… रागारम्मणे ञाणं … दोसारम्मणे ञाणं… मोहारम्मणे ञाणं…पे॰… अनोत्तप्पारम्मणे ञाणं वत्तब्बं – ‘‘चेतोपरियाये ञाण’’न्ति? आमन्ता। हञ्‍चि अनोत्तप्पारम्मणे ञाणं वत्तब्बं चेतोपरियाये ञाणं, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘चेतोपरियाये ञाणं चित्तारम्मणञ्‍ञेव न अञ्‍ञारम्मण’’न्ति।

फस्सारम्मणे ञाणं न वत्तब्बं – ‘‘चेतोपरियाये ञाण’’न्ति? आमन्ता। फस्सपरियाये ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… वेदनारम्मणे ञाणं…पे॰… सञ्‍ञारम्मणे ञाणं…पे॰… अनोत्तप्पारम्मणे ञाणं न वत्तब्बं – ‘‘चेतोपरियाये ञाण’’न्ति? आमन्ता। अनोत्तप्पपरियाये ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

४३८. न वत्तब्बं – ‘‘चेतोपरियाये ञाणं चित्तारम्मणञ्‍ञेव न अञ्‍ञारम्मण’’न्ति? आमन्ता। ननु चेतोपरियाये ञाणन्ति? आमन्ता। हञ्‍चि चेतोपरियाये ञाणं, तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘चेतोपरियाये ञाणं चित्तारम्मणञ्‍ञेव न अञ्‍ञारम्मण’’न्ति।

चित्तारम्मणकथा निट्ठिता।

५. पञ्‍चमवग्गो

(५०) ८. अनागतञाणकथा

४३९. अनागते ञाणं अत्थीति? आमन्ता। अनागतं मूलतो जानाति, हेतुतो जानाति, निदानतो जानाति, सम्भवतो जानाति, पभवतो जानाति, समुट्ठानतो जानाति, आहारतो जानाति , आरम्मणतो जानाति, पच्‍चयतो जानाति, समुदयतो जानातीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

अनागते ञाणं अत्थीति? आमन्ता। अनागतं हेतुपच्‍चयतं जानाति, आरम्मणपच्‍चयतं जानाति, अधिपतिपच्‍चयतं जानाति, अनन्तरपच्‍चयतं जानाति, समनन्तरपच्‍चयतं जानातीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

अनागते ञाणं अत्थीति? आमन्ता। गोत्रभुनो पुग्गलस्स सोतापत्तिमग्गे ञाणं अत्थीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…। सोतापत्तिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स सोतापत्तिफले ञाणं अत्थीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

सकदागामि…पे॰… अनागामि …पे॰… अरहत्तसच्छिकिरियाय पटिपन्‍नस्स पुग्गलस्स अरहत्ते ञाणं अत्थीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

४४०. न वत्तब्बं – ‘‘अनागते ञाणं अत्थी’’ति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘पाटलिपुत्तस्स खो, आनन्द, तयो अन्तराया भविस्सन्ति – अग्गितो वा उदकतो वा मिथुभेदा वा’’ति [महाव॰ २८६; दी॰ नि॰ २.१५२; उदा॰ ७६]! अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि अनागते ञाणं अत्थीति।

अनागतञाणकथा निट्ठिता।

५. पञ्‍चमवग्गो

(५१) ९. पटुप्पन्‍नकथा

४४१. पटुप्पन्‍ने [पच्‍चुप्पन्‍ने (सी॰ स्या॰)] ञाणं अत्थीति? आमन्ता। तेन ञाणेन तं ञाणं जानातीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… तेन ञाणेन तं ञाणं जानातीति? आमन्ता। तेन ञाणेन तं ञाणं ‘‘ञाण’’न्ति जानातीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… तेन ञाणेन तं ञाणं ‘‘ञाण’’न्ति जानातीति? आमन्ता। तं ञाणं तस्स ञाणस्स आरम्मणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

तं ञाणं तस्स ञाणस्स आरम्मणन्ति? आमन्ता। तेन फस्सेन तं फस्सं फुसति, ताय वेदनाय तं वेदनं वेदेति, ताय सञ्‍ञाय तं सञ्‍ञं सञ्‍जानाति, ताय चेतनाय तं चेतनं चेतेति, तेन चित्तेन तं चित्तं चिन्तेति, तेन वितक्‍केन तं वितक्‍कं वितक्‍केति, तेन विचारेन तं विचारं विचारेति, ताय पीतिया तं पीतिं पियायति, ताय सतिया तं सतिं सरति, ताय पञ्‍ञाय तं पञ्‍ञं पजानाति, तेन खग्गेन तं खग्गं छिन्दति, तेन फरसुना तं फरसुं तच्छति, ताय कुधारिया तं कुधारिं तच्छति, ताय वासिया तं वासिं तच्छति, ताय सूचिया तं सूचिं सिब्बेति, तेन अङ्गुलग्गेन तं अङ्गुलग्गं परामसति, तेन नासिकग्गेन तं नासिकग्गं परामसति, तेन मत्थकेन तं मत्थकं परामसति, तेन गूथेन तं गूथं धोवति, तेन मुत्तेन तं मुत्तं धोवति, तेन खेळेन तं खेळं धोवति, तेन पुब्बेन तं पुब्बं धोवति, तेन लोहितेन तं लोहितं धोवतीति? न हेवं वत्तब्बे …पे॰…।

४४२. न वत्तब्बं – ‘‘पटुप्पन्‍ने ञाणं अत्थी’’ति? आमन्ता। ननु सब्बसङ्खारे अनिच्‍चतो दिट्ठे तम्पि ञाणं अनिच्‍चतो दिट्ठं होतीति? आमन्ता। हञ्‍चि सब्बसङ्खारे अनिच्‍चतो दिट्ठे तम्पि ञाणं अनिच्‍चतो दिट्ठं होति, तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘पटुप्पन्‍ने ञाणं अत्थी’’ति।

पटुप्पन्‍नञाणकथा [पच्‍चुप्पन्‍नकथा (सी॰)] निट्ठिता।

५. पञ्‍चमवग्गो

(५२) १०. फलञाणकथा

४४३. सावकस्स फले ञाणं अत्थीति? आमन्ता। सावको फलस्स कतं पञ्‍ञापेतीति? न हेवं वत्तब्ब…पे॰…।

सावकस्स फले ञाणं अत्थीति? आमन्ता। अत्थि सावकस्स फलपरोपरियत्ति इन्द्रियपरोपरियत्ति पुग्गलपरोपरियत्तीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

सावकस्स फले ञाणं अत्थीति? आमन्ता। अत्थि सावकस्स खन्धपञ्‍ञत्ति आयतनपञ्‍ञत्ति धातुपञ्‍ञत्ति सच्‍चपञ्‍ञत्ति इन्द्रियपञ्‍ञत्ति पुग्गलपञ्‍ञत्तीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

सावकस्स फले ञाणं अत्थीति? आमन्ता। सावको जिनो सत्था सम्मासम्बुद्धो सब्बञ्‍ञू सब्बदस्सावी धम्मस्सामी धम्मप्पटिसरणोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

सावकस्स फले ञाणं अत्थीति? आमन्ता। सावको अनुप्पन्‍नस्स मग्गस्स उप्पादेता असञ्‍जातस्स मग्गस्स सञ्‍जनेता अनक्खातस्स मग्गस्स अक्खाता मग्गञ्‍ञू मग्गविदू मग्गकोविदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

४४४. न वत्तब्बं – ‘‘सावकस्स फले ञाणं अत्थी’’ति? आमन्ता। सावको अञ्‍ञाणीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… तेन हि सावकस्स फले ञाणं अत्थीति…पे॰…।

फलञाणकथा निट्ठिता।

पञ्‍चमवग्गो।

तस्सुद्दानं –

विमुत्तिञाणं विमुत्तं, सेखस्स असेखं ञाणं, विपरीते ञाणं, अनियतस्स नियामगमनाय अत्थि ञाणं, सब्बं ञाणं पटिसम्भिदाति, सम्मुतिञाणं, चेतोपरियाये ञाणं, अनागते ञाणं, पटुप्पन्‍ने ञाणं, सावकस्स फले ञाणन्ति।

महापण्णासको।

तस्सापि उद्दानं –

सत्तुपलद्धिं, उपहरतो, बलं, गिहिस्स अरहा च, विमुत्तिपञ्‍चमन्ति।

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